एक झटके में पाकिस्तान को नरक पहुंचाएगी...भारत ने बनाई दुनिया की 'सबसे तेज मिसाइल', अमेरिका, रूस-चीन क्लब में हम

Authored byदिनेश मिश्र|नवभारतटाइम्स.कॉम
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भारत ने ऐसी मिसाइल का परीक्षण किया है, जिससे चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन कांप उठेंगे। इससे भारत एक खास क्लब में शामिल हो गया है।

Hypersonic Missile
नई दिल्ली: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक खास प्रोजेक्ट के तहत हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सीक्रेट 'प्रोजेक्ट विष्णु' के तहत डिजाइन किए गए इस मिसाइल का नाम एक्सटेंडेड ट्रेजेक्टरी लॉन्ग ड्यूरेशन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (ET-LDHCM) है। यह मिसाइल भारत के मौजूदा ब्रह्मोस, अग्नि और आकाश से काफी एडवांस है। यह मिसाइल करीब 8 मैक यानी लगभग 11,000 किलोमीटर की रफ्तार से दुश्मन पर कहर बनकर टूटती है। यह मिसाइल भारत के बेहद खुफिया प्रोजेक्ट विष्णु का हिस्सा है। जानते हैं इसके बारे में पूरी बात।


स्क्रैमजेट का इस्तेमाल करेगी हाइपरसोनिक मिसाइल

eurasiantimes.com पर छपी एक स्टोरी के अनुसार, भारत एक नई मिसाइल बना रहा है, जिसका नाम है ET-LDHCM। इसकी सबसे खास बात है इसका इंजन, जिसे स्क्रैमजेट कहते हैं। यह इंजन हवा से ऑक्सीजन लेता है। इससे मिसाइल हल्की रहती है और बहुत तेज गति से उड़ सकती है। पुराने इंजनों को अपने साथ ऑक्सीजन ले जाना पड़ता था, लेकिन स्क्रैमजेट इंजन हवा से ही ऑक्सीजन खींच लेता है। इसलिए मिसाइल का वजन कम हो जाता है और वह लंबे समय तक तेज रफ़्तार से उड़ान भर सकती है।
Hypersonic Missile

1,000 सेकेंड तक स्क्रैमजेट इंजन का टेस्ट

DRDO ने नवंबर 2024 में इस स्क्रैमजेट इंजन का 1,000 सेकंड तक टेस्ट किया था। इस टेस्ट से पता चला कि इंजन बहुत ज्यादा गर्मी और गति को झेल सकता है। यह मिसाइल 2,000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सह सकती है। इतनी गर्मी तब पैदा होती है जब मिसाइल लगभग 11,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा में उड़ती है।
Hypersonic Missile

Scramjet किस तकनीक पर करता है काम

रॉकेट इंजन को उड़ने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। यह ऑक्सीजन इंजन के अंदर ही मौजूद होती है। लेकिन Scramjet इंजन हवा से ऑक्सीजन लेता है। सुपरसोनिक गति पाने के लिए हवा से ऑक्सीजन लेना जरूरी है। इसलिए Scramjet तकनीक का इस्तेमाल करना जरूरी था। सोवियत संघ ने सबसे पहले इस तकनीक का आविष्कार किया था। उसके बाद USA, चीन और भारत ने भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया। इस तकनीक का इस्तेमाल रॉकेट और मिसाइलों में किया जा सकता है।
HYPERSONIC MISSILE

जमीन, आसमान और समंदर से लॉन्च संभव

The Economic times के मुताबिक, इस हाइपरसोनिक मिसाइल को जमीन, समंदर या हवाई जहाज से भी लॉन्च किया जा सकता है। ऐसे में यह भारतीय सेना के सभी अंगों के लिए उपयोगी है। यह मिसाइल 2,000 किलो तक के हथियार ले जा सकती है, चाहे वे आम हथियार हों या परमाणु हथियार। यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ती है, इसलिए इसे पकड़ना और रोकना मुश्किल है।

चुपके से करती है वार, मनमुताबिक बदलती है रास्ता

हाइपरसोनिक मिसाइल चुपके से हमला करने, शक्तिशाली होने और कई तरह से इस्तेमाल करने के लिए बनाई गई है। बैलिस्टिक मिसाइलें एक तय रास्ते पर चलती हैं, लेकिन ET-LDHCM कम ऊंचाई पर उड़ती है और उड़ान के दौरान अपना रास्ता बदल सकती है। इस पर एक खास तरह की परत चढ़ाई गई है जो इसे खारे पानी और तेज धूप जैसे खराब वातावरण में भी काम करने में मदद करती है। ET-LDHCM को जमीन, हवा या समुद्र से भी लॉन्च किया जा सकता है। यह मिसाइल दुश्मन के रडार स्टेशनों, नौसैनिक जहाजों या कमांड सेंटरों को निशाना बना सकती है।

प्रोजेक्ट विष्णु से 12 हथियार बनाए जाएंगे

DRDO का प्रोजेक्ट विष्णु हाइपरसोनिक सिस्टम पर सबसे बड़ा दांव है। हाइपरसोनिक का मतलब है आवाज की गति से 5 गुना से भी तेज। इस प्रोजेक्ट के तहत 12 अलग-अलग हथियार बनाए जाएंगे। इनमें हमला करने वाली मिसाइलें और दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही मार गिराने वाली इंटरसेप्टर मिसाइलें भी शामिल हैं।

2028 तक सेना में शामिल हो सकती है

ET-LDHCM जैसी मिसाइलें तो बस शुरुआत हैं। हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल 2027 या 2028 तक सेना में शामिल हो सकते हैं। ET-LDHCM का पूरी तरह से इस्तेमाल 2030 तक शुरू हो सकता है। इसका मतलब है कि 2030 तक यह मिसाइल पूरी तरह से काम करने लगेगी।

ब्रह्मोस का बाप है ये मिसाइल, तीन गुना तेज

ET-LDHCM मिसाइल की स्पीड मैक 8-10 तक हो सकती है। यानी यह 11000 से लेकर 12 हजार किलोमीटर की रफ्तार से चल सकती है। यह ब्रह्मोस की मैक 3 गति लगभग 3,675 किमी/घंटे से करीब तीन गुना तेज है। इस मिसाइल की खास बात ये है कि यह कम ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है, जिससे कोई भी रडार इसे पकड़ नहीं सकता। किसी भी चुनौतीपूर्ण इलाकों में भी यह मिसाइल सटीकता से अपने टारगेट को निशाना बना सकती है।
दिनेश मिश्र

लेखक के बारे मेंदिनेश मिश्रदिनेश मिश्र, NBTऑनलाइन में असिस्टेंट एडिटर हैं। 2010 में दैनिक जागरण से पत्रकारिता की शुरुआत की। बीते 14 साल में अमर उजाला, राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रिंट, टीवी और डिजिटल तीनों का अनुभव हासिल किया। पर्सनल फाइनेंस, पॉलिटिकल, इंटरनेशनल न्यूज, फीचर जैसी कैटेगरी में एक्सप्लेनर और प्रीमियम स्टोरीज करते रहे हैं, जो रीडर्स को सीधे कनेक्ट करती हैं।... और पढ़ें

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