आदिवासी बच्चों से भेदभाव, अलग से लगाई जा रही क्लास, कांग्रेस नेता ने की कठोर दंड की मांग

Edited byअंबिकेश्वर चतुर्वेदीReported byAnimesh Jain|Lipi
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बड़वानी के सेंधवा क्षेत्र के एक स्कूल में आरटीई के तहत गरीब आदिवासी बच्चों को अलग बिठाने का मामला सामने आया है, जिससे विवाद बढ़ गया है। आदिवासी नेताओं ने स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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बड़वानी: मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के सेंधवा क्षेत्र के एक स्कूल में आरटीई से प्रवेश गरीब आदिवासी बच्चों को अलग बिठाये जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। आदिवासी नेताओं ने स्कूल पहुंचकर वस्तु स्थिति का जायजा लेने के बाद स्कूल डायरेक्टरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है। उधर जिला शिक्षा अधिकारी और डीपीसी ने मामले की जांच के लिए 5 मेंबरों की टीम गठित कर दी है।


कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके आदिवासी नेता पोर लाल खरते ने मांग की है कि इस अति संवेदनशील मामले में उच्च स्तरीय जांच की जाकर कठोरतम दंड दिया जाए। ताकि भविष्य में किसी भी स्कूल बच्चों के साथ गरीबी अमीरी एवं जातिगत भेदभाव पूर्ण रवैया ना अपनाया जाए।


उन्होंने बताया कि 18 जुलाई, 2025 को पालकों की शिकायत आने पर माउंट लिट्रा स्कूल, मेरखेड़ी तहसील निवाली जिला बड़वानी के परिसर में जाकर सही तथ्य को जानने का प्रयास किया गया। जिसमें आदिवासी बच्चों के साथ पढ़ाई में भेदभावपूर्ण व्यवहार सामने आया। उन्होंने बताया कि स्कूल द्वारा वर्ष 2024- 25 में कक्षा नर्सरी एवं जुनियर केजी 1 के आठ बच्चे तथा 2025 - 26 में 13 आरटीई में पढ़ने वाले बच्चों के साथ भेदभाव कर उन्हें अलग समय दोपहर 1:00 बजे बुलाकर अलग से क्लास लगाई जा रही थी। जबकि बाकी बच्चों का स्कूल का समय प्रातः 9:00 बजे से है । जिससे बच्चे स्कूल में होने वाली प्रार्थना और अन्य गतिविधियों में भाग नहीं ले पाते, जिसके चलते उनका शारीरिक और मानसिक विकास अवरुद्ध हो रहा है। साथ ही स्कूल में पढ़ने वाले इन बच्चों तथा बालकों के मन में गरीबी अमीरी तथा जातिगत भेदभाव का भावना पनप रही है।

उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी पालकों द्वारा इस विषय में स्कूल संचालक को शिकायत की गई थी लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ । यह सौतेला व्यवहार सिर्फ कक्षा नर्सरी एवं जूनियर के जी-1 के आरटीई के आदिवासी बच्चों के साथ किया जा रहा था अन्य क्लासों में जाने पर पता चला कि वहां पर आरटीआई की बच्चों को भी अन्य बच्चों के साथ बिठाया जाकर पढ़ाई करवाई जा रही थी ।

उन्होंने बताया कि अलग बिठाने का कारण पूछने पर स्कूल प्रशासन द्वारा बताया गया की स्कूल में निर्माण कार्य चल रहा है स्थान की कमी होने की वजह से ही इन बच्चों को अलग से बिठाया जाता है जो संतोषजनक नहीं है । इस भेदभावपूर्ण व्यवहार से बच्चों एवं बालकों में गरीबी अमीरी तथा जातिगत भेदभाव का संदेश जा रहा है, जो संविधान की मूल भावना के विपरीत है । उक्त के विषय में अनु विभागीय अधिकारी पानसेमल से फोन पर संपर्क किया गया उनके द्वारा ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को मौके पर भेज कर जांच करने की बात कही गई ।

स्कूल निरीक्षण के दौरान पोरलाल खर्ते पूर्व राज्य कर अधिकारी एवं पूर्व लोकसभा प्रत्याशी खरगोन बड़वानी सीताराम बर्डे जनपद पंचायत उपाध्यक्ष सेंधवा, परसराम सेनानी महेंद्र सेनानी एवं पालकों में श्याम कनोजे, शांतिलाल कनोजे, मुकेश सोलंकी, बुलसिंग सोलंकी, हिरा सोलंकी, अर्जुन सोलंकी, मुकेश खरते, अनसिंग सोलंकी, अंशाराम सोलंकी, कांतिलाल सोलंकी आदि मौजूद थे ।

इस बीच जिला शिक्षा अधिकारी और डीपीसी ने एक आदेश जारी कर पांच सदस्य टीम को तीन दिनों के भीतर मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने के लिये कहा है। इसके अलावा निवाली तहसीलदार ने भी पृथक जांच के आदेश दिए हैं। इसके तहत आज नायब तहसीलदार और बीआरसी स्कूल पहुंचे हैं और जांच कर रहे हैं।

उधर स्कूल संचालक पीयूष शर्मा ने बताया कि आदिवासी ग्रामीण परिवेश से आने वाले बच्चे हिंदी और अंग्रेजी नहीं जानते थे, इसलिए उन्हें अलग समय पर बिठा कर पढ़ाया जाता था। हालांकि उन्होंने आदिवासी नेताओं के सामने गलती मानते हुए इन बच्चों को दूसरे बच्चों के साथ बैठने की व्यवस्था कर दी है। उन्होंने आरोप गलत बताते हुए मामले में स्पष्ट किया कि शेष कक्षाओं में आरटीई के गरीब बच्चे अन्य बच्चों के साथ ही बैठकर पढ़ रहे हैं।
अंबिकेश्वर चतुर्वेदी

लेखक के बारे मेंअंबिकेश्वर चतुर्वेदीनवभारत टाइम्स डिजिटल में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए काम करता हूं। पत्रकारिता में विकल्प अखबार में काम करने के बाद टाइम्स इंटरनेट तक पहुंचा। उत्तर प्रदेश के देवरिया से सफर की शुरुआत की। अब भोपाल में कार्य कर रहा हूं। पॉलिटिकल, क्राइम और हेल्थ पर खबरें लिखने में रुचि रखता हूं।... और पढ़ें

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