सना: यमन में मौत की सजा पाईं केरल की नर्स निमिषा प्रिया को अस्थायी राहत मिली है क्योंकि उनकी फांसी को कुछ समय के लिए टाल दिया गया है। निमिषा को 16 जुलाई को फांसी की तारीख तय थी, जिसे स्थगित कर दिया गया। इस बीच तलाल महदी के भाई का बयान सामने आया है। तलाल की हत्या के लिए ही निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई है। तलाल महदी के भाई ने जोर देकर कहा है कि निमिषा को माफी नहीं दी जाएगी। उनको किसास यानी अल्लाह कानून का सामना करना होगा। ऐसे में इस कानून की काफी ज्यादा चर्चा हो रही है।
केरल की रहने वाली निमिषा आठ साल से यमन की जेल में बंद हैं।
यमन में निमिषा की फांसी की नई तारीख तय नहीं हुई है लेकिन महदी का परिवार 38 वर्षीय भारतीय नर्स को राहत देने के लिए तैयार नहीं दिख रहा है। महदी के भाई ने बीबीसी से कहा कि उनकी परिवार की परिवार की ब्लड मनी या आर्थिक मुआवजे में दिलचस्पी नहीं है। प्रिया को फांसी की सजा सामना करना होगा, इससे कम कुछ नहीं होगा।
किसास कानून क्या कहता है
महदी का परिवार किसास कानून को लागू करने पर जोर दे रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि इसका मतलब क्या है। इस्लामी कानून मानने वाले देशों ने किसास का सिद्धांत कुरान से लिया गया है। कुरान में किसास शब्द का इस्तेमाल समानता के लिया किया गया है। विद्वानों का कहना है कि यह बाइबिल की 'आंख के बदले आंख' की अवधारणा की तरह ही है। यह किसी अपराध के पीड़ित को पारस्परिक न्याय का हकदार बनाता है। यानी अगर किसी के भाई की हत्या हुई है तो वह भी कातिल को मौत की सजा दिलाने का हकदार है।
किसास में महत्वपूर्ण बात यह है कि यह कानून जानबूझकर किए गए अपराधों के लिए बदले पर जोर देता है। निमिषा के केस में भी यही मामला फंस रहा है। परिवार का मानना है कि निमिशा प्रिया ने पूरी तरह प्लान बनाकर तलाल महदी की हत्या की थी। प्रिया ने इंजेक्शन देकर तलाल को बेहोश किया और फिर हत्या के बाद बॉडी को ठिकाने भी लगाया। ऐसे में उसको माफी देने के लिए महदी का परिवार तैयार नही हो रहा है।
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दो तरह के किसास कानून
किसास में दो तरह के कानून की बात है। पहला- 'जिंदगी के बदले जिंदगी' है, जिसकी मांग मेहदी के परिवार ने की है। दूसरा शरीर के अंगों के लिए दोषी का अंग काटना है। हालांकि इसके बावजूद प्रिया की फांसी टलने की उम्मीद बरकरार है। निमिषा की फांसी को स्थगित करने में कथित तौर पर महदी के परिवार की नहीं सुनी गई। इससे उम्मीद जगती है कि कूटनीतिक तरीके से कोई रास्ता निकल सकता है।
लेखक के बारे मेंरिजवानरिज़वान, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और भारतीय जनसंचार संस्थान से पढ़ाई की है। अमर उजाला से पत्रकारिता की शुरुआत की। इसके बाद वन इंडिया, राजस्थान पत्रिका में काम किया। फिलहाल नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में इंटरनेशनल डेस्क पर काम कर रहे हैं। राजनीति और मनोरंजन की खबरों में भी रूचि रखते हैं। डिजिटल जर्नलिज्म में काम का अनुभव करीब 8 साल है।... और पढ़ें
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